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मध्यमकालीन ऋण :जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक द्वारा कृषको के लिए 3 से 7 वर्षो तक के लिए स्वीकृत किये जाने वाले ऋण योजना की जानकारी !

सामान्य मध्यावधि ऋण

जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक छ.ग. द्वारा स्वीकृत किये जाने वाले ऋण जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक के द्वारा उन्नत खेती करने वाले कृषकों को सिंचाई के लिए कुंआ, ट्यूबवेल, पम्पसेट आदि हेतु अधिक अवधि के लिए ऋण लेना होता है, जो कि सामान्य मध्यावधि ऋण की श्रेणी में आते हैं।

बैंक के कार्यक्षेत्र के कृषकों को सहकारी साख समितियों के माध्यम से 3 से 7 वर्षो तक का मध्यावधि ऋण, रिजर्व बैंक, पंजीयक सहकारी संस्थाऐं एवं छ.ग. राज्य सहकारी बैंक के निर्देशानुसार वितरित किए जावेंगे ।
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यह ऋण 2 भागों में विभाजित है:-


प्रथम श्रेणी का मध्यावधि ऋण- 

जिनसे कृषकों की उत्पादन क्षमता एवं उत्पादन साधनों को सुरक्षित रखने में सहायता मिलती है। जैसे:- 
1. बैल जोड़ी 
2. भैंसा जोड़ी 
3. मेड़ निर्माण 
4. मेड़-मरम्मत 
5. दुधारू पशु 
7. कृषि उपकरण - उड़ावनी पंखा, थ्रेसर, डस्टर, रीपर, पावर स्प्रेयर, पावर स्प्रेयर - पैडल, स्प्रेयर आदि


द्वितीय श्रेणी का मध्यावधि ऋण- 

जिससे विनियोग करने पर कृषक की आमदनी में अतिरिक्त वृद्धि होती है ।

जैसे:- 1. नवीन कुंआ 2. पुराने कुंआ का मरम्मत 3. विद्युत / तेल चलित पम्प आदि

उपरोक्त प्रयोजनों के अलावा अन्य कार्यो के लिए भी आवश्यकतानुसार मध्यावधि ऋण दिया जा सकता है, जो कि बैंक के उपलब्ध स्त्रोत पर निर्भर होगा ।


सामान्य मध्यावधि ऋण-सीमा एवं अदायगी अवधिः-


विभिन्न उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए मध्यावधि ऋणों की अधिकतम सीमा निर्धारित की गई है। ऋण-सीमा रिजर्व बैंक, नाबार्ड, पंजीयक सहकारी संस्थाएं तथा राज्य सहकारी बैंक के निर्देशानुसार संशोधित किया जा सकता है,
विवरण निम्नानुसार है:-


मध्यमकालीन हेतु ऋण स्वीकृति के नियम एवं निर्देश :-

  • आवेदक ऋण के उद्देश्य अनुसार समिति में आवेदन प्रस्तुत करेगा ।
  • समिति के द्वारा कार्यकारिणी के बैठक प्रस्ताव एवं ठहराव की सत्य प्रतिलिपि ।
  • आवेदक को सहकारी समिति का अकालातीत सदस्य होना अनिवार्य है ।
  • स्वयं की भूमि का चालू वर्ष का बी.वन., पांचसाला की नकल ।
  • पटवारी द्वारा जारी कृषि भूमि का मूल्यांकन रिपोर्ट फार्म सी ।
  • अधिकृत डीलर से कोटेशन लिया जावे एवं कोटेशन में कृषक का हस्ताक्षर होना आवश्यक है। 
  • समस्त दस्तावेज मूल प्रति देना होगा, ऋण स्वीकृति का उल्लेख किसान के ऋण पुस्तिका में किया जाना अनिवार्य होगा ।
  • क्षेत्र की अन्य बैंकों का कर्ज न होने का प्रमाण पत्र मतदाता परिचय पत्र / आधार कार्ड की छायाप्रति देना होगा ।
  • उद्देश्य अनुसार स्वीकृत ऋणमान के आधार पर पात्रतानुसार ऋण स्वीकृत किया जावेगा ।
  • ऋण अवधि अदायगी 3 से 7 वर्ष की होगी। बैंक के द्वारा समय-समय पर निर्धारित ब्याज दर लागू होगा।
  • हितग्राही को ऋण के अनुपात में एकमुश्त अंश क्रय करना होगा ।
  • ऋण स्वीकृति पश्चात ऋण संबंधी दस्तावेज कृषक के द्वारा पूर्ण किया जावेगा । मध्यमकालीन ऋण, नाबालिग खातेदार व आम मुखतियारनामा में नहीं दिया जावेगा।
  •  कृषक को ऋण के किश्त अनुसार अग्रिम चेक प्रस्तुत करना होगा ।




अन्य मध्यावधि ऋण स्वीकृति हेतु सामान्य शर्ते


(अ) मध्यावधि ऋण आवेदन पत्र के साथ कृषकों को अपनी भूमि स्वामित्व का प्रमाण पत्र (बी-1 का नकल)

पटवारी से प्राप्त कर देना अनिवार्य होगा। भूमि समतलीकरण मेड निर्माण / मरम्मत, कृषि यंत्र हेतु ऋण लेने पर पांचसाला खसरा व प्लॉट का नक्शा चालू वर्ष का देना अनिवार्य होगा। स्प्रेयर, डस्टर, मध्यावधि ऋण के लिए बी-1 का नकल लेना शिथिल किया जाता है।

(ब) प्रत्येक आवेदन पत्र के साथ भूमि विकास बैंक / तहसील एवं अन्य बैंक से ऋण न होने संबंधी प्रमाण पत्र (नो ड्यूस) कृषक को देना अनिवार्य होगा।

(स) सदस्य की ओर मध्यावधि ऋण शेष होने पर उसी उद्देश्य हेतु पुनः ऋण नहीं दिया जावेगा।

(द) हस्ताक्षर / अंगूठा निशानी समिति के ऋण आवेदन पत्र आदि में सही होने का प्रमाणीकरण समिति प्रबंधक / अध्यक्ष / पर्यवेक्षक संयुक्त रूप से करेंगे।

(फ)नाबालिग के अभिभावक वाले खाते पर मध्यावधि / दीर्घावधि ऋण नहीं दिया जावेगा । प्रत्येक ऋण लेने वाले सदस्य को घोषणा पत्र प्रस्तुत करना होगा कि उसने अन्य व्यापारिक बैंक से ऋण नहीं लिया है।

शाखा प्रबंधक की जांच रिपोर्ट एवं सिफारिश आवेदन पत्र के साथ होना अनिवार्य है

(ल) तार फेंसिंग किन रकबों तथा कितने क्षेत्र में होना है, नक्शा में लाल स्याही से चिन्हांकित होना
चाहिये ।

(व) गोबर गैस संयंत्र स्थापित करने का स्थान स्पष्ट हो, कृषि विभाग से दिये जाने वाला अनुदान पत्रक एवं परियोजना अधिकारी की अनुशंसा स्पष्ट हो ।

लघु एवं सीमान्त कृषक सदस्यों को मध्यावधि ऋण :-


लघु एवं सीमान्त कृषकों के प्रकरणों में उनको प्राप्त होने वाले अनुदान कर्ज की राशि में घटाने के उपरान्त शेष रहे कर्ज की राशि को अदा करने हेतु यदि सदस्यों की ऋण अदायगी की क्षमता पर्याप्त है, तो लघु एवं सीमान्त कृषकों को भी सभी प्रकार के मध्यावधि ऋण स्वीकृत किये जा सकेंगे।

मध्यावधि ऋण की अदायगी


मध्यावधि ऋणों की वसूली समान भाग में निर्धारित तिथियों पर देय होगी।

मध्यावधि ऋण-शोधन क्षमता:-


सदस्य की ऋण शोधन क्षमता कृषि उत्पादन के बाजार मूल्य का 50 प्रतिशत अर्थात आधी होगी। इस आधी बचत मूल्य के 70 प्रतिशत तक अल्पावधि ऋण चुकाने की क्षमता तथा शेष 30 प्रतिशत मध्यावधि ऋण चुकाने की क्षमता मानी जावेगी ।

मध्यावधि ऋण क्षमता निकालने उदाहरण :-


यदि उत्पन्न की गई फसल का उत्पादन मूल्य 100.00 रूपये है तो ऋण अदायगी क्षमता उसकी आधी अर्थात राशि रूपये 50.00 होगी। इसमें से 70 प्रतिशत अर्थात 35 रूपये अल्पावधि ऋण अदायगी क्षमता एवं शेष 30 प्रतिशत अर्थात 15 रूपये उसकी मध्यावधि ऋण की किश्त चुकाने की वार्षिक क्षमता होगी।

मध्यावधि ऋण 3/5 किश्त की गणना कर, ऋण क्षमता निकाला जावेगा अर्थात तीन वर्षों के लिए उपरोक्त नीति से प्रति एकड़ 45.00 रू. 5 वर्ष के लिए 75.00 रूपये मध्यावधि ऋण देय क्षमता होगी। अतिरिक्त विनियोग से जो आय होगी, वह कृषक की अतिरिक्त ऋण शोधन क्षमता होगी ।

मध्यावधि ऋण की स्वीकृति :-


मध्यावधि ऋण स्वीकृत करने हेतु ऋण उप समिति / प्रबंध समिति / संचालक मंडल प्राधिकृत रहेगा। आकस्मिक परिस्थितियों में कार्यालयीन प्रतिवेदन पर अध्यक्ष / मुख्य कार्यपालन अधिकारी द्वारा स्वीकृत किया जावेगा, जिसकी पुष्टि आगामी बैठक में कराया जावेगा।


मध्यावधि ऋण के अनुपात में अंशपूंजी क्रय :-


मध्यावधि ऋण के अनुपात में लघु कृषकों को 5 प्रतिशत एवं बड़े कृषकों को 15 प्रतिशत मूल्य के अंश संस्था के क्रय करने होंगे। जिसमें बड़े कृषकों को ऋण वितरण के पूर्व 10 प्रतिशत तथा ऋण अदायगी के समय 5 प्रतिशत देने होंगे।

इसी क्रम में बैंक से सम्बद्ध समितियों को लघु कृषकों को प्रदत्त ऋण का 5 प्रतिशत एवं अन्य कृषकों को प्रदत्त ऋण का 10 प्रतिशत के मान से बैंक का अंश खरीदना होगा ।

मध्यावधि ऋण का अनुदानः-


कृषि विभाग से पंजीकृत प्रकरणों में कृषकों को अनुदान कृषि विभाग के शर्तों के अनुसार देय होगा । अनुदान प्राप्त न होने की स्थिति में कृषक से यह अनुबंध किया जाना आवश्यक होगा कि, ऋण की समस्त किश्तें नियमानुसार अदा करेगा ।

मध्यमकालीन (M.T.) परिवर्तन ऋण - (Conversion Loan) :-


प्रमुख रूप से यह सुविधा उन्हीं ग्रामों के कृषक सदस्यों को मिलेगी, जिनकी कृषि उपज 37 पैसे अनावारी से कम होने की घोषणा शासन के द्वारा फसल की खराबी की स्थिति में की जावेगी |

यह सुविधा कालातीत ऋणी (Expired Loan) सदस्यों को नहीं दी जावेगी । यह सुविधा नियमित लेन-देन करने वाले सदस्यों को ही प्राप्त होगी। ऐसे परिवर्तन ऋण आगामी तीन या पांच समान किश्तों में वसूल किए जावेंगे। नाबार्ड के निर्देशानुसार अन्य शासकीय योजनाओं के अंतर्गत ही परिवर्तित ऋण स्वीकृत किये जा सकेंगे। परिवर्तन ऋण का लाभ प्राप्त करने वाले सदस्यों को पुनः अल्पावधि नगद एवं वस्तु ऋण स्वीकृत किया जा सकेगा। ऋण स्वीकृति के पूर्व ब्याज - राशि वसूल किया जावेगा ।



अटल गोल्डन कार्ड के माध्यम से मध्यमकालीन ऋण स्वीकृति :-


अटल गोल्डन क्रेडिट योजना अंतर्गत कृषकों को निम्नानुसार ऋण दिया जावेगा । जिसके नियम व शर्तें निम्नानुसार होगी ।

1. अटल गोल्डन कार्ड, किसान क्रेडिट कार्ड से भिन्न होगा। फसल ऋण के लिए अपनाने वाले "किसान क्रेडिट कार्ड" की राशि इस कार्ड में शामिल नहीं होगी। यह कार्ड सीधे बैंक से हितग्राहियों को दिया जावेगा। इसके लिए उन्हें बैंक का नाम मात्र सदस्य बनना होगा। 60 वर्ष से अधिक आयु के कृषक इस योजना में शामिल नहीं हो सकेंगे ।

2. अटल गोल्डन क्रेडिट कार्ड की सीमा अधिकतम 2 लाख रूपये होगी, जो ऋण अदायगी क्षमता के अनुरूप स्वीकृत होगी ।

3. इस कार्ड की अवधि 3 वर्ष निर्धारित होगी, किन्तु प्रतिवर्ष 31 मार्च पर नवीनीकरण कराना आवश्यक होगा । इस हेतु हितग्राही को निर्धारित प्रारूप में आवेदन करना होगा ।

4. किसानों को उनके धारित कृषि भूमि, शासकीय मूल्य या बाजार मूल्य जो भी कम हो का 50 प्रतिशत तक ही साख सीमा स्वीकृत की जावेगी ।

5. इस कार्ड से बैंक के चयनित शाखाओं से सीमा के अंतर्गत राशि आहरण की जा सकेगी।

6. इस योजनान्तर्गत हितग्राहियों को एक "अटल गोल्डन कार्ड" दिया जावेगा, जिसमें हितग्राही का फोटो, विवरण, ऋण की सीमा जारी करने का दिनांक एवं हितग्राही के हस्ताक्षर, जो शाखा प्रबंधक द्वारा प्रमाणित होंगे होगा ।

7.शाखा प्रबंधकों के स्पेशीमेन कार्ड समस्त संबंधित शाखाओं को भेजे जावेंगे तथा कोड नम्बर दिया जावेगा ।

8. कार्ड के भीतर निकाली या जमा की गई राशि का उल्लेख कर बैलेंसिंग कर इसमें संबंधित शाखा प्रबंधक अपना हस्ताक्षर तथा कोड नम्बर अंकित करेंगे एवं बैंक का छोटा गोल सील लगावेंगे । ध्यान रहे हस्ताक्षर का मिलान स्पेशीमेन कार्ड से अवश्य होना चाहिये ।

9. भुगतान के पूर्व शाखा प्रबंधक हितग्राही के हस्ताक्षर का मिलान एवं जारी करने वाली शाखा के शाखा प्रबंधक के हस्ताक्षर का मिलान करेंगे।

10. गोल्डन कार्ड में भुगतान सिर्फ धनादेश (चेक) से ही किया जावेगा ।

11. फिलहाल चेकों का कलेक्शन नहीं होगा तथा हितग्राही चेक का उपयोग मात्र खुद के राशि निकालने के लिए ही कर सकेंगे ।

12. हितग्राही का दुर्घटना एवं जीवन बीमा जैसा बैंक द्वारा निर्धारित होगा, कराना अनिवार्य होगा। यदि हितग्राही द्वारा बीमा नहीं कराया जाता है तो बैंक द्वारा बीमा कराया जावेगा ।

13. हितग्राही को वर्ष में स्वीकृत साख- सीमा का कम से कम 3 गुना व्यवहार किया जाना चाहिये । अन्यथा आने वाले वर्ष में साख- सीमा में कटौती की जा सकती है।

15. कृषि योग्य भूमि का पांचसाला, बी-1 नकल प्रस्तुत करना होगा एवं हितग्राही को ऋण पुस्तिका बैंक में जमा करनी होगी।

14. नियमानुसार इक्विटेबल मार्टगेज, बंधकनामा, वचनपत्र, गिरवी पत्र, अविछिन्नता प्रमाण पत्र, सर्टिफिकेट बैंक द्वारा चाहे अनुसार प्रस्तुत करना होगा।

16. प्रत्येक शाखा के लिये इस योजना के तहत निर्धारित की जाने वाले अधिकतम सीमा निर्धारित की जावेगी, इसके अधिक ऋण वितरण नहीं किया जावेगा। ऋण पहले आओ, पहले पाओ आधार पर स्वीकृत किया जावेगा ।

17. हितग्राही के आवेदन पत्र का गंभीरता पूर्वक परीक्षण तथा मौके पर निरीक्षण किया जावे। इसके पश्चात ही ऋण सीमा स्वीकृति हेतु आवेदन मुख्य कार्यालय को भेजेंगे ।

18. शाखा प्रबंधक जिस किसी भी हितग्राही को ऋण की सिफारिश कर रहे हैं, उस हितग्राही से ऋण की वसूली की जिम्मेदारी शाखा प्रबंधक की होगी ।

19. केश क्रेडिट पर 11 प्रतिशत वार्षिक ब्याज लिया जावेगा । प्रत्येक छः माह में ब्याज की गणना की जावेगी एवं यह राशि हितग्राही से जमा कराया जावेगा, यदि ब्याज की राशि हितग्राही द्वारा जमा नहीं की जाती है तो उतनी राशि से केश क्रेडिट खाते को नामे किया जावेगा । अतः इस हेतु मार्जिन, केश क्रेडिट खाते में बनाई रखी जावे ।

20. कालातीत ऋण होने की दशा में 2 प्रतिशत की दर से दण्ड ब्याज लिया जावेगा ।



21. शाखा प्रबंधक प्रति सप्ताह इस केश केडिट के लेन-देन की जानकारी हितग्राहीवार परिक्षेत्राधिकारियों का प्रस्तुत करेंगे।

22. शाखा प्रबंधकों द्वारा इस खाते में राशि नाने करते हुए जारी करने वाली शाखा को टेलीफोन से सूचना देवेंगे एवं एडव्हाइस भेजेंगे। लेखा पद्धति निम्नानुसार होगी-

(अ) जारी करने वाली शाखा - गोल्डन कार्ड लेखा नाम कर राशि का भुगतान करेगी।

(ब) अन्य शाखा- मुख्यालय खाते नामे कर राशि का भुगतान करेंगे तथा एडवाइस संबंधित शाखा, मुख्यालय को जमा कर हितग्राही के खाते को नामे करेगी।

23. अटल गोल्डन क्रेडिट कार्ड योजनांतर्गत चयनित शाखाओं के शाखा प्रबंधक शाखा के कार्यक्षेत्र के ग्रामों की भूमि का शासकीय मूल्य दर की प्रति संबंधित तहसील कार्यालय से प्राप्त कर शाखा में रखें एवं प्रत्येक प्रकरण में आवेदक के ग्राम का भूमि विक्रयदर की छायाप्रति संलग्न करें।

24. अशिक्षित जो किसान हस्ताक्षर नहीं करते (अंगूठा का उपयोग करते हैं) इस योजना में शामिल नहीं हो सकते।

25. हितग्राही के स्वामित्व के अचल संपत्ति का सर्च रिपोर्ट बैंक द्वारा नियुक्त अधिवक्ता से कराकर आवेदन के साथ संलग्न करना होगा।

26. स्वीकृत साख सीमा का दुर्घटना बीमा / जीवन बीमा कराना होगा। इस हेतु हितग्राही को जन्म प्रमाण पत्र की सत्यप्रति प्रस्तुत करना होगा।

27. उपरोक्त सभी शर्तें पूर्ण होने पर शाखा प्रबंधक भूमि का स्थल निरीक्षण कर आवेदन मुख्यालय को अपने अभिमत के साथ भेजेंगे।

28. ऋण स्वीकृति पश्चात हितग्राही एवं जमानतदारों को भूमि का निर्धारित स्टाम्प पर गिरवीरत अनुबंध व बंधकनामा कराना अनिवार्य होगा।

29. साख सीमा से एक बार में 25000/- रू. से अधिक राशि का आहरण नहीं होगा।

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