छत्तीसगढ़ के समर्थन मूल्य धान खरीदी केंद्रों में कार्यरत कंप्यूटर ऑपरेटर भी हड़ताल में जाने की तैयारी कर रहे हैं।
समर्थन मूल्य धान खरीदी कंप्यूटर ऑपरेटर संघ ने तीन दिवसीय धरना प्रदर्शन का ऐलान किया है, जो 29 जुलाई से 31 जुलाई तक चलेगा।
इस दौरान संघ ने अपनी दो सूत्रीय मांगें पूरी न होने पर 5 अगस्त से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया है।
धरना प्रदर्शन के दौरान संघ ने निम्नलिखित मांगे रखी हैं:
1.वेतन में 27% वृद्धि कर 23350 रुपये वेतन सुनिश्चित किया जाए।बोनस, भत्ता, भविष्य निधि लागू की जाए और पिछले 7 माह का बकाया वेतन दिया जाए।
2.सभी कर्मचारियों को किसी निश्चित विभाग में सम्मिलित कर नियमितीकरण किया जाए।
ऑपरेटरों ने अपनी दो सूत्रीय मांगें पूरी नहीं होने पर 5 अगस्त से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की सूचना दी है। धान खरीदी कार्य अभी शुरू भी नहीं हुआ है, लेकिन इसे लेकर शासन-प्रशासन की मुश्किलें बढ़ती हुई नजर आ रही हैं।
हड़ताल से शासन की महत्वपूर्ण योजनाएं प्रभावित होंगी, जिनमें पैक्स कंप्यूटरीकरण, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, किसान धान पंजीयन, और खाद-बीज वितरण शामिल हैं।
24 जुलाई से ही छत्तीसगढ़ राज्य समर्थन मूल्य धान खरीदी कंप्यूटर ऑपरेटर संघ ने अपनी दो सूत्रीय मांगों को लेकर प्रदेश स्तरीय प्रशासन को ज्ञापन सौंपकर अवगत कराया है।
इसी तारतम्य में शाखावार ब्रांच मैनेजर को भी ज्ञापन दिया गया।
कंप्यूटर ऑपरेटरों का काम अत्यंत महत्वपूर्ण और चुनौतीपूर्ण होता है।
वे धान खरीदी प्रक्रिया के हर चरण को सुव्यवस्थित तरीके से संचालित करने के लिए जिम्मेदार होते हैं।
उनका काम निम्नलिखित गतिविधियों को शामिल करता है:
किसान धान पंजीयन: किसानों का धान पंजीकरण सुनिश्चित करना, उनकी जानकारी को अपडेट करना और उनकी पंजीकरण प्रक्रिया को सुचारू रूप से संचालित करना।
पैक्स कंप्यूटरीकरण: पैक्स (प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों) के तहत सभी कंप्यूटरीकरण कार्यों को संभालना, जिसमें डेटा एंट्री, रिकॉर्ड्स का प्रबंधन और आवश्यक रिपोर्ट्स तैयार करना शामिल है।
धान खरीदी रिकॉर्ड्स: धान खरीदी के हर लेन-देन को रिकॉर्ड करना, खरीदी गई मात्रा, भुगतान की स्थिति और अन्य आवश्यक विवरणों का प्रबंधन करना।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना: किसानों की फसल बीमा संबंधी जानकारी को अपडेट करना, क्लेम्स की प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाना और संबंधित डेटा को बनाए रखना।
खाद और बीज वितरण: खाद और बीज के वितरण का रिकॉर्ड रखना, उसकी सही मात्रा और गुणवत्ता सुनिश्चित करना और वितरण प्रक्रिया को प्रबंधित करना।
इन सभी कार्यों के साथ, कंप्यूटर ऑपरेटरों पर भारी कार्य का बोझ होता है और वे लंबे समय तक काम करते हैं। इन कार्यों को सही तरीके से करने के लिए पर्याप्त संसाधनों और उचित वेतन की आवश्यकता होती है।
इस निर्णय के पीछे उनके द्वारा उठाए गए कई महत्वपूर्ण मुद्दे हैं, जो उनके कार्य और स्थिति से जुड़े हैं।
ऑपरेटरों की जटिल स्थिति संविदा या दैनिक वेतनभोगी? ऑपरेटरों की स्थिति को लेकर अस्पष्टता है। क्या वे संविदा कर्मचारी हैं, दैनिक वेतनभोगी हैं या नियमित कर्मचारी? यह अस्पष्टता उनके भविष्य निधि, वेतन, और अन्य सुविधाओं पर असर डाल रही है।
वर्तमान में, ऑपरेटरों को यह भी नहीं पता कि वे किस श्रेणी में आते हैं, जिससे उनके भविष्य निधि की समस्या और बढ़ गई है।
प्रशासनिक जटिलताएँ ऑपरेटरों का कार्य खाद्य विभाग, बैंक, और जिला पंजीयक के विभिन्न विभागों से संबंधित होता है। जबकि ऑपरेटर इन विभागों के आदेशों का पालन करते हैं, उन्हें उन सुविधाओं का लाभ नहीं मिलता जो इन विभागों के नियमित कर्मचारियों को मिलती हैं।
इसके साथ ही, समितियाँ ऑपरेटरों को अपने कर्मचारियों के रूप में मान्यता नहीं देतीं, और न ही उन्हें समिति के अन्य कर्मचारियों की तरह बोनस या अन्य लाभ मिलते हैं।
शासन और समिति की भूमिका ऑपरेटर शासन के विभिन्न विभागों के कार्यों को संभालते हैं, लेकिन उनकी स्थिति को लेकर कोई स्पष्टता नहीं है। यह स्थिति उन्हें न केवल अपने कार्य की महत्वता से अनभिज्ञ बनाती है, बल्कि उनके अधिकार और सुविधाओं को भी प्रभावित करती है।
- संचालन मंडल को कई अधिकार दिए गए हैं, लेकिन पंजीयक के पास अंतिम दंड देने का अधिकार है, जो ऑपरेटरों की स्थिति को और जटिल बनाता है।
- पूर्व में किए गए आंदोलन पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के कार्यकाल के दौरान, ऑपरेटरों ने नियमितीकरण की मांग को लेकर एकदिवसीय और अनिश्चितकालीन आंदोलनों का आयोजन किया था।
- 2016 में, एक समझौते के तहत मुख्यमंत्री ने तीन प्रमुख मुद्दों पर विचार करने का आश्वासन दिया था:
- ऑपरेटरों के विभाग की पहचान
- वेतन का नियमित रूप से भुगतान
- वर्तमान संविदा वेतन 13,776 रुपये की बढ़ोतरी
हालांकि, यह आश्वासन सहमति तक ही सीमित रह गया और चुनावी उलझनों में फंसकर रह गया।
हड़ताल की तैयारी और मांगें
ऑपरेटरों की हड़ताल की तैयारी और उनके द्वारा उठाए गए मुद्दे शासन और प्रशासन के लिए चुनौतीपूर्ण हैं।
उनकी प्रमुख मांगें हैं:वेतन में 27% वृद्धि कर 23,350 रुपये सुनिश्चित किया जाए।बोनस, भत्ता, भविष्य निधि लागू की जाए और पिछले 7 माह का बकाया वेतन दिया जाए।
सभी ऑपरेटरों को किसी निश्चित विभाग में सम्मिलित कर नियमितीकरण किया जाए।
अगर इन मांगों को पूरा नहीं किया जाता है, तो 5 अगस्त से अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी जाएगी, जिससे शासन की महत्वपूर्ण योजनाएं प्रभावित हो सकती हैं।यह स्थिति न केवल ऑपरेटरों की कठिनाई को दर्शाती है, बल्कि प्रशासनिक जटिलताओं और समस्याओं को भी उजागर करती है। इस मुद्दे पर त्वरित और उचित समाधान की आवश्यकता है ताकि भविष्य में किसी भी तरह की अनावश्यक जटिलता और असुविधा से बचा जा सके।